ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे

दुनिया अच्छी होने से पहले कहीं लिखी गई थी. 

इसलिए वो एक नंबर का लिक्खाड़ बना. लिखने बैठता तो ऐसे लिखता कि बस गर्दन और कुछ उंगलियां हिलतीं और पेज पर पेज भरते चले जाते. शर्त लगाकर लिखता. लिखते लिखते कलम टूट जाती तो अपने दांत को तोड़कर उसकी नोक से लिखने लगता. 

दुनिया लिखने वालों की प्रतिभा देर से पहचानती है. इस लड़के के साथ भी यही हुआ. सब नाम दिए गए, बस लिक्खाड़ कभी नहीं कहा गया. हां ये ज़रूर कहा गया कि दांत एक एंग्री अंकल की वजह से टूटा. लड़के में इतनी गुंजाइशें थीं कि वो हर युग में हर घटना के मार्फत लोगों को रचने के लिए कई कहानियां दे गया.

(कोशिशों के बावजूद फोटो क्रेडिट नहीं पता चला)

वो लड़का आज भी दुनिया का बेस्ट 'सेलर' लेखक है. टाइपिंग स्पीड इतनी कि स्टेनोग्राफर या SSC के एग्ज़ाम में बैठता तो पक्का टॉप करता. कोई सिरीज़ लिखता तो लोगों को ये पूछना ना पड़ता कि अगला सीजन कब? क्योंकि वो सारे सीज़न पहले ही लिख चुका होता.

'बोल वो रहे हैं लेकिन शब्द हमारे हैं.' ये बात 'थ्री इडियट्स' फ़िल्म में दुबे लाइब्रेरियन के कहने से बरसों पहले कोई और कह चुका था.

महिला सुरक्षा क़ानून और No means No का पहला मसौदा इसी लड़के ने लिखा था. हर बच्चे की तरह अपनी मां का फेवरेट. मां से इतना प्यार कि बाप से लड़ाई करना बच्चों का खेल लगे. 

इस लड़के के लिए औरत की सुरक्षा सबसे पहले. फिर चाहे कोई खुद की गर्दन ही क्यों न उड़ा दे!

मां का नाम अपने नाम में दुनिया अब जोड़ रही है, वो तब जोड़ चुका था. 

हैशटैग Love Animals लोग अब कहते हैं, वो तब इस हैशटैग को जी चुका और अब भी कहीं जी रहा होगा. राजेश खन्ना को 'हाथी मेरे साथी' फ़िल्म टाइटल शायद इसी लड़के ने दिया था.

उनाकोटि गणेश, तस्वीर वाया संतोष सिंह, गूगल

ये लड़का दुनिया घूम सकता था. पर घरवालों से इतना प्रेम रहा कि मां-बाप के ही चक्कर लगा दिए और बोला- तुझमें रब दिखता है, यारा मैं क्या करूं?

'ज़िंदगी दो पल ही, इंतज़ार कब तक हम करेंगे भला..' इसलिए ये लड़का खाने पीने में हमेशा आगे रहा. जो मिला, खाता गया. 

जब सब चमचमाती गाड़ियां चुन रहे थे, इस लड़के ने चूहे को चुना. कृषि प्रधान दुनिया में लोगों की फसल कुतरने वाले और कई खूबियों वाले चूहे को अपने विशाल शरीर के नीचे दबाकर रखा. 

ये लड़का इतना लोकप्रिय था कि कोरोना दौर की शादियों में भी किसी को कार्ड गया हो या ना गया हो, प्रथम निमंत्रण खुद हासिल किया. कोई अच्छा काम शुरू करो तो ये लड़का सबसे पहले लोगों को याद आता है.

ये लड़का फ़िल्मों में भी स्पेशल अपीयरेंस के साथ आया है. हमने किसी मंदिर से ज़्यादा फ़िल्मों में इस लड़के का मैजिक देखा है. फिर चाहे वास्तव फ़िल्म में सफेद कुर्ता पहने लाल टीका लगाए संजय दत्त का दिखना और पीछे से ''सेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुख को...दोंदिल लाल विराजे सुत गौरीहर को'' का सुनाई देना रहा हो. या फिर अग्निपथ में रितिक रोशन का लाल सिंदूर लगाए दिखना और पीछे बर्थडे मनवाता ये लड़का. 

लंबे वक्त से चली आ रही बुराइयों को ख़त्म करने की शुरुआत कुछ फिल्मों में जब-जब हुई, तब तब वो लड़का दिखाई दिया. लड़के को बयां करते शब्द सुनाई दिए. 

'मोटापा माय फुट' जैसे फलसफे को अपनाने वाला ये लड़का 'लव योर बॉडी' का अब तक का बेस्ट अंबेसडर है. इस लड़के से अपना एक कनेक्शन और है. ये जिसका बालक है, वो अपने ख़ास यार हैं. 

और ये बाप बेटे इतने भोले हैं कि अपने खुश होने के लिए किसी प्रेमी या प्रेमिका की तरह बस तीन जादुई शब्द चाहते हैं. 

तो हाथ उठाइए और ज़ोर से बोलिए:

गणपति बप्पा मोरया!

हर हर महादेव....

टिप्पणियाँ

  1. मैं अब तक न जाने कितने ही ब्लॉग पढ़ें हैं,उन में से कुछ ठीक लगे कुछ अच्छे और कुछ एक बहुत अच्छे और आपका लिखा इसी बहुत अच्छी वाली श्रेणी में है मेरे लिए। शुरू से अंत एक तारतम्यता बनी है । आपके लेखन की यह मजबूती भी है और खूबसूरती भी।🙏🙏

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    1. कुछ ब्लॉग हुने भी suggest कीजिए प्लीज

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  2. आज पहली बार आपका ब्लॉग देखा.
    अब तो इस पेज पर अना जाना रहेगा हमेशा.
    ❤️❤️❤️❤️

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  3. Wow सर, मैने भी आज पहली बार आपका ब्लॉग पढ़ा है , और अब तो आपके ब्लॉग पर आना जाना बना रहेगा,लिखते रहिए..

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