मेट्रोपंती- ए ट्रेन टू दिलीस्तान

ये लोग इत्ता जल्दी में क्यों रहते हैं, इन्हें कहां जाना होता है। कभी भी किसी भी मेट्रो की भीड़ को उठाकर देख लीजिए, मेट्रो में एकदम खचाखच भीड़ रहती है। मेट्रो  स्टेशन पर आकर खड़ी ही होती है और लोग उसे श्रद्धा भाव से निहारने लगते हैं। गेट खुलने का इस बेसब्री से इंतजार होता है जितना वैष्णो देवी में टोकन नंबर आ जाने का होता है। कई बार मेट्रो का किवाड़ आसानी से फौरन ही नहीं खुलता है। बंद पारदर्शी किवाड़ों से उतरने वालों का चढ़ने वालों से एक छटांक भर का रिश्ता बन जाता है। रिश्ता कि तुम उतरो तो हम चढ़ें। जगह देने का रिश्ता। पहले उतर तो जाने दो, बाद में चढ़ना जैसे संवादों के बीच रोज मेट्रो हमें झेलती है। सुनती है। दौड़ती है।
गेट खुलते ही जिस स्पीड में लोग दौड़ते हैं, मुझे समझ नहीं आता कि इन्हें जाना कहां होता है। उतरते ही भाग लेते हैं। मिल्खा सिंह पार्ट-2 बनी, तो वो मेट्रो के ही किसी मुस्तैद पैसेंजर पर बनेगी। देख लेना।  मेट्रो से उतरने से पहले, चढ़ने के दौरान भीड़ कुछ ऐसी रहती है कि मुझे कभी भी बंटवारे के वक्त भारत-पाक के रेलवे स्टेशनों पर क्या माहौल रहा होगा,ये समझने के लिए किसी किताब को पढ़ने की जुर्रत महसूस नहीं होती। इस भीड़म भाड़,कचम कच में सबसे ज्यादा अच्छा तब लगता है जब कोई लड़का अपने साथ वाली लड़की को भीड़ से बचाने के लिए अपने को ढाल बना लेता है। जब लड़की भीड़ से दबती हुई, अजीब तरह के मुंह बनाते हुए लड़के का हाथ नहीं छोड़ती है तो खुद भी जी करता है कि लड़के या लड़की किसी एक का भाई बनकर भीड़ को उनकी तरफ जाने से रोक दूं। अमूमन मैं तो लड़के का भाई बनना ही पसंद करता हूं। पर समटाइमस इट डिपेंडस...
मेरा तो मानना है कि सरकार जल्द से जल्द कोई विशेष अधिनियम लाकर मेट्रो के किवाड़ों के कोने वाले हिस्सों पर चेपी लगवा दें कि ये हिस्सा प्रेमी जोड़ो के लिए आरक्षित है। इन किवाड़ों के कोने प्रेमी जोड़ों को भीड़ में भी एंकात देता है। हर स्टेशन में और स्टेशन के बाद बाहर का नजारा। मेट्रो में खाना,फोटो खींचना,  थूकनालेडीज़ कोच में सवारी और छेड़खानी के अलावा प्रेमी जोड़ो को लगातार घूरनेवालों पर भी चालान लगाना चाहिए। कमस कम 2 हजार का।
हम तो देखो ईमानदारी से बता रहे हैं हम छुप छुप के इन जोड़ों को देखते तो हैं पर अपने हिस्से के सुकून के लिए। कि कमबख्त कोई तो इस भीड़ में करीब आ रहा है।(दिली तौर पर)। किसी को तो इस भीड़ से खुशी मिल रही है।

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