मेहनती बालक हिमेश रेशमिया के नाम बर्थडे पर खुला खत


तेरे शरीर में इतना खून नहीं होगा जितना रवि कुमार मूत देता है'. आहा. अद्भुत. ऐसे ऐतिहासिक डॉयलॉग तुम ही मुंह से गिरा सकते थे. भारतीय सिनेमा के गोपनीय ऐतिहासिक पुरुष हिमेश, आज तुम्हारे धरती पर अकाउंट खुले 41 साल हो गए हैं. शुभकामनाएं.

इन बीते वर्षों में जितना मैं तुमको समझ पाया हूं निहायती कमाल के बंदे लगे हो. थोक के भाव में जलालत, आलोचना झेलते हुए भी तुमने जिस तरह से धूम-मचाले कैटेगरी फैन्स का ख्याल रखा. मैं घूंघट की आड़ में ही सही पर तुम्हारा फैन हो गया.

गांव में एक दाई मां होती हैं. कहा जाता है कि वो सर्वगुण संपन्न होती हैं. हिमेश तुम भी मुझे वही दाई मां लगते हो. हालांकि पायरेटेड दाई मां हो. इस ऐतिहासिक सत्य से भी मैं वाकिफ हूं. तुम्हारी कुंडली की इन तमाम सच्चाइयों के बाद भी मैं तुम्हारी उस प्रतिभा को नहीं नकार सकता हूं जिसे तुम आए दिन कुरेदते रहते हो.

हिमेश जब लगा करे, कर आया करो. रोको मत


सिंगिंग में तुम्हें भले ही कोई राष्ट्रीय पुरस्कार न मिला हो. पर शादी ब्याह में 'डीजे' और 'गुप्ता बैंड बाजा एंड अदर्स' ने तुम्हारी ही धुनों के बल पर इतिहास में सरकती और रेंगती नागिन टोन को आराम दिया. नागिन आज जहां कहीं भी होगी, तुम्हें सांप एंड कैचुंली के साथ दुआएं जरूर दे रही होगी.

नाक...नहीं.. नहीं यहां नाक के बारे में कोई बात नहीं करेंगे हम. नाक की वजह से पहले ही बहुत नाक कट चुकी है तुम्हारी. सिंगिंग के बाद तुम्हें कीड़ा काटा एक्टिंग का. सॉरी गलत कहा मैंने. माफी. तुमने अपनी नई प्रतिभा यानी एक्टिंग को पहचाना. अपनी पहली ही फिल्म 'आपका सुरूर' में तुम इतना जोश में आए कि पकड़ लिया 'शका लका बूम बूम' वाली करुणा को. करुणा मतलब हंसिका मोटवानी. जो अचानक केला-दूध खाकर बड़ी हो गईं थीं.

फिल्म शायद ज्यादा चली नहीं थी पर इससे तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ा. बस यहीं से शुरू करते हो तुम उन तमाम निराश मर्द और मर्दानियों को इन्सपायर करना. जो राह पर चलते हुए गिरता है और उठकर चलने का ख्याल छोड़ देता है. उन्हें तुमसे कुछ सीखना चाहिए. कैसे तुमने एक सिंगिंग शो में 'मुझे तेरे घर में रोटी चाहिए'.. कहते-कहते एक वर्ग विशेष का दिमाग खाया और ठीक उसी समय बाकियों का मेमरी कार्ड भी अपने गानों और फिल्मों से भरा. यह एक मिसाल है.

कई हिरोइनों ने तुम्हारें साथ काम करने से मना किया. इससे तुम्हें फर्क नहीं पड़ा. तुम्हारी फिल्में बड़े मल्टीप्लेक्स में औंधे मुंह गिरीं पर तुमने कानपुर के सिनेमाघरों की सीटियों से खुद की हौसला अफजाई की. ये अपने आप में प्रशंसा योग्य है. लंगोट के पक्के होने के साथ तुम इरादे के पक्के भी निकले. आज अगर मैं किसी बड़े पैनल के जज होता तो तुम्हारे हौसले और योगदान के लिए तुम्हें मोहल्ला या सीटी फाड़ अॉस्कर जरूर दे देता.

बहरहाल, तुम्हें इसकी जरूरत भी क्या है. क्योंकि तुम्हारा फंडा तो तुम्हारे उस एक डॉयलॉग से लगाया जा सकता है. जो तुम्हारी लघु जीवनी भी है. ना डांस, ना एक्सप्रेशन, ना पोज, सिर्फ एक्सपोज. तो बस इसी तरह अपना हौसला बनाए रखो और काम करते रहो. मैंने सुना है कहीं, अपने आप को सीरियस लेना कोई हिमेश से सीखे. इसी के साथ जन्मदिन की नाक, मुंह, अंतड़ियों सबकी तरफ से बधाइयां. हैप्पी बर्थडे हिमेश.. खूब आगे बढ़ो.


हिमेश के बर्थडे 23 जुलाई 2014 को लिखने की हिमाकत की.






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