मित्रों, भाइयों और बहनों. नए रिश्ते बनाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बेहद पसंद है. लेकिन इन रिश्तों की आड़ में आप पीएम साहब से ज्यादा उम्मीदें न लगा लीजिएगा. समझा करिए. हर इंसान सीआईडी का इंस्पेक्टर दया नहीं हो सकता, जो सारे बंद दरवाजे तोड़ दे. मोदी इन दिनों पूरी दुनिया के देशों, उद्योगपतियों और तमाम निवेशकों को भारत आकर किसी भी चीज का निर्माण करने के लिए कह रहे हैं. इस न्योते और स्कीम को पीएम महोदय ने 'मेक इन इंडिया' का नारा दिया है. लेकिन मेरे और मोदी जी के प्यारे मित्रों, बहनों और भाइयों आप ये जान लीजिए कि कुछ ऐसी भी दुखती रग हैं, जिनके बारे में पीएम मोदी किसी से ये नहीं कह सकते कि 'कम मेक इन इंडिया'.
जानिए PM मोदी किन मामलों में नहीं कहेंगे आइए 'मेक इन इंडिया'
1. जवान बनाने की दवा: हमारे मित्र रूपी पीएम किसी से ये नहीं कह सकते हैं कि आप भारत में जवान बनाने की दवा बनाइए क्योंकि अगर ऐसी दवा बन गई, तो सबसे पहले जवान होने की इच्छा लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के मन में उबल सकती है. ऐसे में पीएम साहब के 2019 चुनाव के अरमानों पर युवाओं (आडवाणी और जोशी) को मौका देने की मजबूरी भारी पड़ सकती है. इसीलिए इस दवा के बारे में मोदी नहीं कह सकते कि मेक इन इंडिया.
2. राहुल गांधी का छवि निर्माण: नन्हें और प्यारे से दिखने वाले राहुल गांधी मोदी के धुर विरोधी हैं. राहुल की लोकप्रियता मोदी के मुकाबले उतनी नहीं है. ऊपर से वो मोदी के क्यूट विपक्षी नेता भी हैं. ऐसे में मोदी किसी से भी ये नहीं कह सकते कि भारत में आइए और राहुल गांधी को लोकप्रिय बनाइए. भला कोई अपने लिए गड्ढा खोदता है क्या. हां ये बात भी है कि खेलने कूदने की उम्र में बच्चों को जबरदस्ती राजनीति में लाने के लिए लोड नहीं डालना चाहिए.
3. धरना: विकास की राह पर सबसे बड़ा रोड़ा उसका विरोध है. वैसे भी जिनके खुद के देश में केजरीवाल होते हैं वो धरना देने के लिए किसी और से कैसे कह सकते हैं. इसीलिए मोदी कभी किसी से नहीं कह सकते कि आइए आप भारत में धरना दीजिए या धरने के लिए एकजुट होइए. शुक्र है कि भारत इस मामले में आत्मनिर्भर है. थैंक्स टू 'आप'.
4. जासूसी उपकरण: जासूसी और चुगली करना पाप है. स्नूपगेट मामले ने उस वक्त पीएम बनने का सपना देखने वाले मोदी को जितना बेचैन किया, ये या तो खुदा जानता है या अमित शाह. विपक्ष मोदी पर 'कोबरा' के माफिक लिपटने लगा था. इन सबसे किसी तरह अब मोदी निकल पाए हैं. ऐसे में मोदी किसी से 'आइए भारत में जासूसी उपकरण बनाइए' कहकर गड़े मुर्दे थोड़ी उखाड़ेंगे.
5. शादी पर फिल्म: ओह. एक बार फिर दुखती रग. दो अलग नामांकन में विवाहित और अविवाहित भरने पर फंसे और बाद में श्रीमती जशोदाबेन मोदी की खबरें मीडिया में आ जाने के बाद मोदी का चेहरा भले ही बंद कमरे में लेकिन लाल तो जरूर हुआ होगा. ऐसे में पीएम साहब किसी डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, हॉलीवुड और बॉलीवुड के किसी इंसान से यह नहीं कह सकते कि आइए मेरी शादी पर कोई फिल्म या डॉक्यूमेंट्री बनाइए. खाली-पीली फिल्म की फिलिम बनने से अच्छा है न कहो,' कम मेक इन इंडिया'.
6. नई सरकार: मोदी का भगवत पुराण रूपी भाषण, लाखों कार्यकर्ताओं और अमित शाह की ऐड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगाने के बाद बीजेपी की सरकार बन पाई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी भी मुल्क में ये नहीं कह सकते कि आइए भारत में सरकार बनाइए. अपने पेट पर. ओह माफी, अपने देशभक्ति के सपनों पर लात मारने की हिम्मत किसी में नहीं होती मित्रों.
7. यूपीएससी के सवालों की हिंदी: रजनीकांत को छोड़ दिया जाए तो पूरे विश्व में किसी में हिम्मत नहीं है कि वो यूपीएससी एग्जाम के सवालों की हिंदी समझ सके. ये बात भारत का लगभग हर शख्स समझता है. इसीलिए पीएम साहब किसी भी देश के गोली संगणक (टैबलेट कंप्यूटर) रूपी धुरंधर से ये नहीं कह सकते कि आइए भारत में यूपीएससी एग्जाम की हिंदी समझिए या अनुवाद का कोई सॉफ्टवेयर बनाइए. इसीलिए इस मामले में भी डोंट मेक इन इंडिया.
8. लाइव टीवी इंटरव्यू: अब तक के इतिहास को देखते हुए यह लगभग तय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी टीवी चैनल से ये नहीं कह सकते कि आइए भारत में मेरा लाइव इंटरव्यू लीजिए. सो डोंट मेक दिस वन इन इंडिया. इसके पीछे वजह संभवत: देसी पत्रकारों को इस बात का दिलासा देना है कि तुम नहीं, तो कोई भी नहीं. विरोधियों को इसे स्वदेश प्रेम की भावना से जोड़कर देखने की जरूरत है.
9. पवन चक्की: एक तो ये लोगों की इत्ती गंदी आदत है. जहां मोदी नाम सुना नहीं, हवा और लहर की बात सुनते ही बहस करने लग जाते हैं. ऐसे में पीएम साहब किसी से भी ये नहीं कह सकते कि कम मेक पवन चक्की इन इंडिया. क्योंकि विपक्ष इसे मोदी लहर से जोड़कर कह सकता है कि दरअसल मोदी हवा सिर्फ दूसरे लोगों की वजह से है. इसीलिए पवन चक्की वालों 'न आना इस देश मेरी लाडो' गाना सुनिए और चिल रहिए.
10. संस्कृति: बीजेपी, आरएसएस और खुद मोदी भी भारतीय संस्कृति के समर्थक हैं. ऐसे में मोदी किसी से भारत में आकर किसी नई संस्कृति के विस्तार के लिए नहीं कह सकते. खासतौर पर वेस्टर्न कल्चर. जहां 'खुल्लम-खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों' प्रथा का पालन किया जाता है. किसी नई संस्कृति को भारत में मेक(बनाने) से गंगा सफाई में लगी उमा भारती, पसलियां हिलाते हुए रामदेव और योगी टाइप स्टार प्रचारक बुरा मान सकते हैं और सबको साथ न लेकर चलना पीएम नरेंद्र मोदी के मिजाज के खिलाफ है.
नोट: अगर आप किसी के समर्थक उर्फ भक्त हैं और इस व्यंग्य को पढ़ते हुए आपकी आत्मा को धचका पहुंचा हो. उसके लिए माफ कीजिएगा पर आपके लिए सिर्फ एक बात. सबसे पहले प्लीज मेक लोकतंत्र इन इंडिया. बोलने, लिखने की आजादी देने के लिए पाठकों का शुक्रिया.
आजतक में जब छपा था, तब मैं कांग्रेसी, केजरीवाल का आदमी कहलाया
सॉरी शक्तिमान |
जानिए PM मोदी किन मामलों में नहीं कहेंगे आइए 'मेक इन इंडिया'
1. जवान बनाने की दवा: हमारे मित्र रूपी पीएम किसी से ये नहीं कह सकते हैं कि आप भारत में जवान बनाने की दवा बनाइए क्योंकि अगर ऐसी दवा बन गई, तो सबसे पहले जवान होने की इच्छा लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के मन में उबल सकती है. ऐसे में पीएम साहब के 2019 चुनाव के अरमानों पर युवाओं (आडवाणी और जोशी) को मौका देने की मजबूरी भारी पड़ सकती है. इसीलिए इस दवा के बारे में मोदी नहीं कह सकते कि मेक इन इंडिया.
2. राहुल गांधी का छवि निर्माण: नन्हें और प्यारे से दिखने वाले राहुल गांधी मोदी के धुर विरोधी हैं. राहुल की लोकप्रियता मोदी के मुकाबले उतनी नहीं है. ऊपर से वो मोदी के क्यूट विपक्षी नेता भी हैं. ऐसे में मोदी किसी से भी ये नहीं कह सकते कि भारत में आइए और राहुल गांधी को लोकप्रिय बनाइए. भला कोई अपने लिए गड्ढा खोदता है क्या. हां ये बात भी है कि खेलने कूदने की उम्र में बच्चों को जबरदस्ती राजनीति में लाने के लिए लोड नहीं डालना चाहिए.
3. धरना: विकास की राह पर सबसे बड़ा रोड़ा उसका विरोध है. वैसे भी जिनके खुद के देश में केजरीवाल होते हैं वो धरना देने के लिए किसी और से कैसे कह सकते हैं. इसीलिए मोदी कभी किसी से नहीं कह सकते कि आइए आप भारत में धरना दीजिए या धरने के लिए एकजुट होइए. शुक्र है कि भारत इस मामले में आत्मनिर्भर है. थैंक्स टू 'आप'.
4. जासूसी उपकरण: जासूसी और चुगली करना पाप है. स्नूपगेट मामले ने उस वक्त पीएम बनने का सपना देखने वाले मोदी को जितना बेचैन किया, ये या तो खुदा जानता है या अमित शाह. विपक्ष मोदी पर 'कोबरा' के माफिक लिपटने लगा था. इन सबसे किसी तरह अब मोदी निकल पाए हैं. ऐसे में मोदी किसी से 'आइए भारत में जासूसी उपकरण बनाइए' कहकर गड़े मुर्दे थोड़ी उखाड़ेंगे.
5. शादी पर फिल्म: ओह. एक बार फिर दुखती रग. दो अलग नामांकन में विवाहित और अविवाहित भरने पर फंसे और बाद में श्रीमती जशोदाबेन मोदी की खबरें मीडिया में आ जाने के बाद मोदी का चेहरा भले ही बंद कमरे में लेकिन लाल तो जरूर हुआ होगा. ऐसे में पीएम साहब किसी डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, हॉलीवुड और बॉलीवुड के किसी इंसान से यह नहीं कह सकते कि आइए मेरी शादी पर कोई फिल्म या डॉक्यूमेंट्री बनाइए. खाली-पीली फिल्म की फिलिम बनने से अच्छा है न कहो,' कम मेक इन इंडिया'.
6. नई सरकार: मोदी का भगवत पुराण रूपी भाषण, लाखों कार्यकर्ताओं और अमित शाह की ऐड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगाने के बाद बीजेपी की सरकार बन पाई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी भी मुल्क में ये नहीं कह सकते कि आइए भारत में सरकार बनाइए. अपने पेट पर. ओह माफी, अपने देशभक्ति के सपनों पर लात मारने की हिम्मत किसी में नहीं होती मित्रों.
7. यूपीएससी के सवालों की हिंदी: रजनीकांत को छोड़ दिया जाए तो पूरे विश्व में किसी में हिम्मत नहीं है कि वो यूपीएससी एग्जाम के सवालों की हिंदी समझ सके. ये बात भारत का लगभग हर शख्स समझता है. इसीलिए पीएम साहब किसी भी देश के गोली संगणक (टैबलेट कंप्यूटर) रूपी धुरंधर से ये नहीं कह सकते कि आइए भारत में यूपीएससी एग्जाम की हिंदी समझिए या अनुवाद का कोई सॉफ्टवेयर बनाइए. इसीलिए इस मामले में भी डोंट मेक इन इंडिया.
8. लाइव टीवी इंटरव्यू: अब तक के इतिहास को देखते हुए यह लगभग तय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी टीवी चैनल से ये नहीं कह सकते कि आइए भारत में मेरा लाइव इंटरव्यू लीजिए. सो डोंट मेक दिस वन इन इंडिया. इसके पीछे वजह संभवत: देसी पत्रकारों को इस बात का दिलासा देना है कि तुम नहीं, तो कोई भी नहीं. विरोधियों को इसे स्वदेश प्रेम की भावना से जोड़कर देखने की जरूरत है.
9. पवन चक्की: एक तो ये लोगों की इत्ती गंदी आदत है. जहां मोदी नाम सुना नहीं, हवा और लहर की बात सुनते ही बहस करने लग जाते हैं. ऐसे में पीएम साहब किसी से भी ये नहीं कह सकते कि कम मेक पवन चक्की इन इंडिया. क्योंकि विपक्ष इसे मोदी लहर से जोड़कर कह सकता है कि दरअसल मोदी हवा सिर्फ दूसरे लोगों की वजह से है. इसीलिए पवन चक्की वालों 'न आना इस देश मेरी लाडो' गाना सुनिए और चिल रहिए.
10. संस्कृति: बीजेपी, आरएसएस और खुद मोदी भी भारतीय संस्कृति के समर्थक हैं. ऐसे में मोदी किसी से भारत में आकर किसी नई संस्कृति के विस्तार के लिए नहीं कह सकते. खासतौर पर वेस्टर्न कल्चर. जहां 'खुल्लम-खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों' प्रथा का पालन किया जाता है. किसी नई संस्कृति को भारत में मेक(बनाने) से गंगा सफाई में लगी उमा भारती, पसलियां हिलाते हुए रामदेव और योगी टाइप स्टार प्रचारक बुरा मान सकते हैं और सबको साथ न लेकर चलना पीएम नरेंद्र मोदी के मिजाज के खिलाफ है.
नोट: अगर आप किसी के समर्थक उर्फ भक्त हैं और इस व्यंग्य को पढ़ते हुए आपकी आत्मा को धचका पहुंचा हो. उसके लिए माफ कीजिएगा पर आपके लिए सिर्फ एक बात. सबसे पहले प्लीज मेक लोकतंत्र इन इंडिया. बोलने, लिखने की आजादी देने के लिए पाठकों का शुक्रिया.
आजतक में जब छपा था, तब मैं कांग्रेसी, केजरीवाल का आदमी कहलाया
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