'सबको शाम पसंद है, सबको इंतज़ार पसंद है'

एक जल्दी सी लगी रहती है. कुछ छूटने, खोने या अफसोस के डर से घिरे रहने वाला ख्याल हमेशा रहता है. सब्र मुझे ढोंगी लगता है. फल के लिए सब्र को ढोने का दिखावा कर नहीं पाता हूं. हमेशा मीठे की ख्वाहिश ही क्यों ही रखूं. इंतजार के बाद मीठा मिले. या न मिले, क्या मतलब रह जाता है. ख्वाहिशों की भी एक्सपायरी डेट होती है, कड़वी दवाइयों की तरह. कुछ अचानक मिलता है तो लगता है खो जाएगा. उसे बचाने की कोशिश में जुटा रहता हूं. जुटे रहना मेरी जिंदगी का 'दौरान' हो गया है. जैसे कोई कुछ साल बाद पूछेगा कि उस 'दौरान' तुमने क्या किया.  तो शायद मैं जवाब दूंगा, उस दौरान मैं जुटा हुआ था. पर किसमें? मैं इस सवाल का जवाब नहीं दे पाऊंगा.

क्योंकि यकीन है. ये 'दौरान' का दौर खत्म हो चुका होगा. जब कोई दूसरा दौर होगा. बस सवाल वही होगा. जो आज है. तुम इस 'दौरान' क्या कर रहे हो. मैं जुटा हुआ हूं. पर ये बात किसी से कहूंगा नहीं. क्योंकि यकीन है, यकीन न होने का. यकीन जो होता है, बड़ा डरपोक होता है. तभी तो हम सब पर यकीन कर नहीं पाते हैं. यकीन करते हुए भी टूटने के डर से घिरे रहते हैं. यकीन की जिंदगी में एक की मेन कैरेक्टर होता है, रिश्ता. किसी अपने से या किसी गैर हो चुके अपने से. मैं आज के बीतने का इंतजार करूंगा.

ये जो रात होती है, ये दिन आते ही सो जाती है. ये जो दिन होता है, ये रात भर जागता रहता है. शाम ठहरी हुई सी इंतजार करती रहती है. और खत्म हो जाती है. इंतजार करते हुए. इंतजार करते हुए लोगों का रोल तभी तक रहता है. जब तक वो इंतजार करते हैं. फिर जैसे ही कोई आ जाता है. या नहीं आता है. तो इंतजार करता कोई कहीं लौट जाता है. या छिप जाता है. शाम की तरह. फिर भी सबको शाम ही पसंद है. शाम इंतजार करती है. सबको इंतजार पसंद है.

आज जब रात आएगी. और खड़ी होगी मेरे बिस्तर से दिखती दीवार से चिपकी हुई. घुप्प काले रंग के कपड़े पहने हुए. मैं एक बत्ती जलाकर रात के कपड़ों में आग लगा दूंगा. वो जब जलकर चली जाएगी. या उसके न जलने पर मैं शायद घिसियाया हुआ लेटा रहूंगा. आंखों के बीच रात की एक काली जोड़ी लिए हुए. इंतजार करुंगा सुबह का. ठीक वैसे, जैसे शाम करती है. फिर सुबह का सूरज रात से ताली लेकर मेरे बिस्तर से दिखती दीवार को गुनगुना और फिर खौलाता हुआ घुस आएगा बिस्तर पर लटकी चादर का कोना पकड़कर. मैं इंतजार करता हूआ जल जाऊंगा, दिन के पहरेदार सूरज की रौशनी में. इंतजार करता हुआ, शाम की तरह. सबको शाम पसंद है. सबको इंतजार पसंद है. 

टिप्पणियाँ

  1. बेहतरीन, पढ़कर इंतजार करने का दिल कर गया, किसी की खामोशी टूटने का तो कभी वक्त के दरवाजे खुलने का..

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें