उड़ान इतनी ऊंची...


उड़ान इतनी ऊंची रही कि सबको नज़र आया.

उड़ान से सब कुछ छोटा नज़र आया लेकिन जो पहले से सबसे छोटा था वो सबसे बड़ा नज़र आया.

ऊपर से देखने पर जो सबसे छोटा दिखता है, वो सबसे बड़ा होता है. या कई बार जो नहीं भी दिखता है वो उससे भी बड़ा होता है.




जैसे कि मन, सुकून या खुशी. किसने देखी है. मगर महसूस करो जो ज़िंदगी यूं खर्च होती है जैसे ग्लेशियर पिघला हो और गिरा हो सिंटेक्स की टंकी पर.

कम जगह का अथाह सुख.

समंदर में छोटी लहरों के गिरने पर न जाने कौन खुश होता होगा. मगर कुछ सफर पूरे होने के लिए शुरू होते हैं और कुछ इसलिए कि बीच में छूट जाएं ताकि पता चले कि हममें कुछ बाकी रह गया है.

या पूरा होने को है. बस सही वक़्त का इंतज़ार करना होता है.

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