'रात के जले तारों को समझना कोहरा है'



माचिस की तिली जलने की महक बुझने से पहले ही खत्म हो जाती है. अपनी चिता सोचते हुए खुशबू का एक झोका नाक से निकला, लपटों से गले का पानी गर्म हो गया. 

हट इधर से, बस आ रही है. पैर पर लगेगी तो लंगड़ाएगा. बोनट आकर सीधे मुंह पर लगा और फटाक.  बस के शीशे से मेरे चश्मे का शीशा बिनना.  चश्मा लगाए हुए मैंने सब देखा. मेरा सब देखना तूने देखा? नहीं देखा तो मत देख. मैं दुकान नहीं लगाऊंगा. मेरा सब इतना अच्छा हुआ तो वो ज़मीन फाड़कर बाहर निकलेगा.  मैंने दूसरी की टिकट तो बेची हैं लेकिन खुद को टिकट बनाकर नहीं बेचना. 'साधो रे ये मुर्दों का गांव. पीर मरे, पैगंबर मरे मर गए ज़िंदा जोगी, राजा मरे हैं, प्रजा मरी है' तो बचेगा कौन?

हट इधर से, शाम हुई ज़मीन पर सूरज उतर रहा है जल जाएगा. कितना ही चांद के भगोने की मलाई मलेगा, कुछ नहीं होगा. जला हुआ भीतर से और जलता है. बेहतर है तू नीला हो जा. 'एक धक्का और दे, सारे धागे तोड़ दे. इतना भी जो न कर सके तो फिर काहे का गूदा.'

'स्माइल प्लीज' का पोस्टर बेचने वाला कितना खुश है? सूखे पेड़ों के नीचे बिकने वाले पौधे कितना जी पाएंगे?
रेगिस्तान सूखा है ये पानी तय करेगा? दुर्घटना से देर भली? तो सालों इंतज़ार करते हुए मरने वालों का हिसाब कौन करेगा. प्यार सिर्फ एक बार होता है. ये स्याला कौन तय करेगा? पहाड़ों के खिसकने पर कभी पहाड़ों के लिए रोना आया?


हट इधर से, सब अच्छा है. सब बुरा है. बीच का कुछ नहीं है. बीच का जो है, उसको सब हिजड़ा कहते हैं. बच्चा लोग बजाओ ताली. तेरे पैदा होने पर ताली बजी थी. मरने पर तेरी सीने पर हाथ पीटे जाएंगे. ताली तब भी बजेगी. धग्ग धग्ग सी आवाज़ होगी. ये तेरा दिल नहीं होगा. ये ताली होगी, जो एक मुर्दा और ज़िंदा मिलकर बजाएंगे तेरे सीने पर. ये होगा बीच का, हिजड़ा.

हट इधर से, गलियों से निकलते हुए मेरा बहुत कुछ गिर गया. पहले गलियां चौड़ी होती थी, सब धीरे-धीरे निकलते थे. अब गलियां संकरी हैं, 'खड़ा क्यों है बिहारी, आगे बढ़.' तब तक सूरज सुबह ऊपर आ जाएगा. रात के सारे तारे जलकर टूटकर ज़मीन पर गिरेंगे. तू समझियो कोहरा है, होगी वो राख. माचिस की तिली बुझ गई, महक अभी नाक में धंसी है. 'एक्सपीरियेंस शेयर कर रहे हैं. लेना ही तो लीजिए. वरना सरकिए. हमको बोलने का मौका दीजिए, बाबू'

नहीं सीख सीख सीख रहा ज़िंदगी का पैंतरा.... हट इधर से. कभी न खुली ये दुकान बंद रहेगी, खुलेगी तो लुटिया संगम में. 'संगम दो बार जाना चाहिए?' मैं एक बार जा चुका हूं. 

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