यमुना का पानी लौट गया. नदियों के पानी के लौटने से लोगों का लौटना जुड़ा होता है.
अब लौटे लोग डूबी झुग्गियों को घर बनाने में लग जाएंगे. बीती तारीख़ को दीवार पर लगे कैलेंडर अपनी तारीख़ों के साथ बह गए थे. नहीं लौट सकेंगे उस कैलेंडर पर लिखे ज़रूरी नंबर या घर के किसी नन्हे की पेंसिल से बनाई कोई पेंटिंग.
यमुना का पानी लौटा तो किनारे नाव वाले भी लौट आए. जितने दिन पानी रहा, उतने दिन प्री-वेडिंग शूट वाले नहीं आए. यमुना का पानी लौटा तो सुबह-सुबह अब साड़ी-कोट पेंट पहने जोड़े भी लौट आएंगे. परिंदों को देखकर कैंडिड फोटो खिंचवाते हुए. इन जोड़ों के न आने पर न जाने कितने परिंदों ने अपना-अपना कैंडिड जीभर जिया होगा.
पानी के लौट जाने पर परिंदों की कैंडिड आज़ादी फिर से कैद होने लगती है. कैमरों में प्रेम दर्ज होता जाता है, आज़ादी कैद होती जाती है.
अब नए कैमरे ख़रीद चुके फ़ोटोग्राफर्स भी सुबह चार बजे का अलार्म लगाकर लौटेंगे. कैब और नाव से उतरते लोगों में क्या फ़र्क़ होता है, ये जाने बिना यमुना का पानी लौट गया.
वो मंदिर भी लौट आया है, जिसे न जाने किसने और क्यों बना दिया था. मंदिर में जलाई धूपबत्ती से आती खुशबू और यमुना से आती दुर्गंध में ईश्वर किसकी सुनता होगा? बीच नदी में अब कीचड़ से सन चुकी मूर्ति दुआ मांगती है. पर इसे दुआ को कोई नहीं सुनेगा. क्योंकि यमुना का पानी लौट गया है.
यमुना किनारे निगम बोध की लकड़ियां भी अब पानी से निकल आईं हैं. इन भीगी लकड़ियों से अब चिताओं के ख़ाक होने में वक़्त लगेगा. यमुना के पानी लौटने से चिता ताप रहे लोगों का लौटना लेट हो गया.
जब पानी नहीं लौटा था तो किसी दिलेर तैराक बाप ने अपनी बिटिया को यमुना की डुबकी लगवाई थी. अगले बरस जल भले ही ख़तरे के निशान से ऊपर न बहे लेकिन बाप को मालूम है कि बिटिया की उम्र ख़तरे के निशान से ऊपर बहेगी. लिहाजा बिटिया का इस घाट पर लौटना भी कहीं लौट गया है.
ये सब हर साल इतने कम वक़्त के लिए होता है कि दुख ज़्यादा है या सुख... इसे महसूस करवाने से पहले यमुना का पानी लौट गया.
अब लौटे लोग डूबी झुग्गियों को घर बनाने में लग जाएंगे. बीती तारीख़ को दीवार पर लगे कैलेंडर अपनी तारीख़ों के साथ बह गए थे. नहीं लौट सकेंगे उस कैलेंडर पर लिखे ज़रूरी नंबर या घर के किसी नन्हे की पेंसिल से बनाई कोई पेंटिंग.
यमुना का पानी लौटा तो किनारे नाव वाले भी लौट आए. जितने दिन पानी रहा, उतने दिन प्री-वेडिंग शूट वाले नहीं आए. यमुना का पानी लौटा तो सुबह-सुबह अब साड़ी-कोट पेंट पहने जोड़े भी लौट आएंगे. परिंदों को देखकर कैंडिड फोटो खिंचवाते हुए. इन जोड़ों के न आने पर न जाने कितने परिंदों ने अपना-अपना कैंडिड जीभर जिया होगा.
पानी के लौट जाने पर परिंदों की कैंडिड आज़ादी फिर से कैद होने लगती है. कैमरों में प्रेम दर्ज होता जाता है, आज़ादी कैद होती जाती है.
PC: AFP |
वो मंदिर भी लौट आया है, जिसे न जाने किसने और क्यों बना दिया था. मंदिर में जलाई धूपबत्ती से आती खुशबू और यमुना से आती दुर्गंध में ईश्वर किसकी सुनता होगा? बीच नदी में अब कीचड़ से सन चुकी मूर्ति दुआ मांगती है. पर इसे दुआ को कोई नहीं सुनेगा. क्योंकि यमुना का पानी लौट गया है.
यमुना किनारे निगम बोध की लकड़ियां भी अब पानी से निकल आईं हैं. इन भीगी लकड़ियों से अब चिताओं के ख़ाक होने में वक़्त लगेगा. यमुना के पानी लौटने से चिता ताप रहे लोगों का लौटना लेट हो गया.
जब पानी नहीं लौटा था तो किसी दिलेर तैराक बाप ने अपनी बिटिया को यमुना की डुबकी लगवाई थी. अगले बरस जल भले ही ख़तरे के निशान से ऊपर न बहे लेकिन बाप को मालूम है कि बिटिया की उम्र ख़तरे के निशान से ऊपर बहेगी. लिहाजा बिटिया का इस घाट पर लौटना भी कहीं लौट गया है.
ये सब हर साल इतने कम वक़्त के लिए होता है कि दुख ज़्यादा है या सुख... इसे महसूस करवाने से पहले यमुना का पानी लौट गया.
शायद अच्छा ही है कि यमुना का पानी लौट गया,झुग्गियां फिर से घर बन जाएंगे।
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