आज़ादी मिलने से ज़्यादा बचाए रखने की चीज़ है

 बचपन से ही तिरंगा बहुत प्योर लगता है. मन से जो सम्मान कभी रिश्तेदारों के लिए नहीं निकला, वो तिरंगे को देखते ही महसूस होने लगता. 

ये तिरंगे से मुहब्बत ही थी कि बचपन में 'हिंदुस्तान की कसम' जैसी पिच्चर भी कई बार देख ली थी. उसमें एक सीन है जिसमें तिरंगे में रखकर कोई कुछ खा रहा होता है तो डेढ़ हाथ लिए अमिताभ बच्चन आकर हड़का देते हैं.

तिरंगे से प्यार ऐसे रहा, जैसे घर का कोई बड़ा बुजुर्ग हो. या फिर कोई छोटा बच्चा जिसकी उंगली पकड़े रहनी होती है. तिरंगे वाली पतंग कभी पेड़ पर अटक जाए तो हम उसे लूटने की कोशिश नहीं करते. डर रहता कि कहीं पत्थर मारकर या मंजा खींचने में तिरंगे वाली पतंग फट ना जाए.




ज़िंदगी में 'कहो ना प्यार है' वाले ग्रीटिंग कार्ड भले ही ना लिए हों. लेकिन तिरंगे खूब लिए हैं. देशभक्ति वाले महीनों में स्कूल से लौटते वक़्त अगर बारिश होती तो तिरंगे को बड़ी किताब के बीच में ऐसे छिपाते- जैसे अस्पताल की नर्सरी में नर्स बच्चे छिपा देती हैं. 

अपने 'जन गण मन' या एआर रहमान वाले 'मां तुझे सलाम' को भी हद लेवल तक सीरियस लिया है. रिलीज़ के बाद बची कुची कसर 'रंग दे बसंती' फ़िल्म ने पूरी कर दी.

लगने लगा कि 'कोई देश परफेक्ट नहीं होता, उसे परफेक्ट हम बनाते हैं.' इसलिए जर्नलिज्म की पढ़ाई से पहले ही हम राजनीतिक, समाजिक और आर्थिक हालत जैसे चाट शब्दों का इस्तेमाल किए बगैर बराबरी की बात करने की कोशिश करने लगे. देर सवेर ग़लत को ग़लत कहने की हिम्मत आने लगी. अपनी ग़लती को मानने और गुस्से को कहने की हिम्मत आने लगी.  उनकी तरह नहीं जो सच को इसलिए स्वीकार करने से भागते रहते हैं क्योंकि अपनी गलती महसूस हो सकती है या गिल्ट बढ़ सकता है.

ये सब तिरंगे और बचपन से बड़े होने तक में पनपे देशप्रेम का नतीजा है. अब भी किसी दूसरे इंस्ट्रूमेंटल सॉन्ग से ज़्यादा अपना वंदे मातरम या जन गण मन ही सेक्सी लगता है.

लेकिन बीते सालों में तिरंगे, देशभक्ति, देशभक्ति के गानों का जैसे इस्तेमाल हो रहा है, वो बहुत दिल दुखाता है. ये लोग तिरंगे, देशप्रेम को अपने फायदे के लिए बेच दे रहे हैं, दूसरे को देशद्रोही बता रहे हैं और इस पूरे नैरेटिव पर एक बड़ी आबादी आंख बंद करके भरोसा किए ले रही है. सबसे ज्यादा ये बात बुरी है. 

तिरंगे का अपमान क्या होता है? इस सवाल का जवाब बदल गया है और एक बोतल में क़ैद कर दिया गया है.

आज़ादी मिलने से ज़्यादा बचाए रखने की चीज़ होती है. बचाए रखने तक आज़ादी मुबारक़!

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